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अवलंबन पुरुषोत्तम बेचैनज़मीरसुकून ज्ञान और आनंद कर्म प्रधान दयालु भाव दिन हो या रात हो ध्यान अद्भूत मैंऔरमेरीकविताएं प्यार का सागर भव के सागर धूप -छांव संसार सागर जीवन रूपी सागर सच्चाई महामहिलापत्नी क्याहैकुंठा-घुटनक्याहैव्यथा-निराशा साहित्यिक विधा मानव देह

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